नही हैं उसके जैसा कोई, मेरी जन्नत है मेरी माँ। मेरा दिल ही मेरा मन्दिर है, मेरे मन्दिर की मूरत है माँ। मेरे प्यारे पाठकों माँ जिसने हमें ये दुनिया दिखाई जिसने आंचल की छांव में रखा। अपनी कोख में नौ महीने रखकर न जाने कितने कष्ट उठाये। लेकिन उसने कभी आह तक नहीं करी। उसका परिवार ही उसकी दुनिय…
और पढ़ेंप्रकृति जो हर साँस देती है, जीने के लिए जल देती है। प्रकृति ही तो सबकी माँ है, जो अपना सर्वस्व लुटा देती है। मेरे प्यारे पाठकों प्रकृति के बारे में तो सभी जानते हैं प्रकृति हमारी जननी है। फल, फूल और अन्न सभी कुछ तो प्रकृति से मिलता है। जीते जी भी हमें प्रकृति की आवश्यकता है और मरने के ब…
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