माँ पर कविता हिन्दी मैं | best hindi poem on mother | emotional kavita on mother


नही हैं उसके जैसा कोई, मेरी जन्नत है मेरी माँ।

मेरा दिल ही मेरा मन्दिर है, मेरे मन्दिर की मूरत है माँ।


मेरे प्यारे पाठकों माँ जिसने हमें ये दुनिया दिखाई जिसने आंचल की छांव में रखा। अपनी कोख में नौ महीने रखकर न जाने कितने कष्ट उठाये। लेकिन उसने कभी आह तक नहीं करी। उसका परिवार ही उसकी दुनिया है। पर जाने अनजाने हम उसका दिल दुःखा देते हैं। सोच नही सकते उसनें कितने कष्ट उठाये हैं। रात भर जागकर हमें लोरी सुनाई है। हम तो नींद में खो गये पर वो हमें रात भर निहारती रही। 

हमें भी तो माँ के लिये सोचना चाहिए। जिसने हमेशा हमारे लिए अपने अरमानों की बलि चढाई। ऐसा तो ओर कोई नही कर सकता। 

वह मां ही होती है जो खुद को भूलकर अपने बच्चों और परिवार का ध्यान रखती है। हमें भी उसके लिए कुछ करना होगा। उसे आज से ही खुश रखना होगा। 

प्रिय पाठकों मैंने माँ को कुछ कविताएं समर्पित की है ंआप इन्हें जरूर पढें और अपने सुझाव अवश्य दें। ताकि मेरा भी हौसला बना रहे 

धन्यवाद 


1. माँ पर कविता : माँ का प्यार 


पता नहीं मां ऐसी क्यों होती है 

अपना हर दर्द हमेंशा ही छुपा लेती है 

बच्चों के दर्द का दूर से ही 

कहीं भी एहसास कर लेती है 

पता नहीं मां........................... 

बच्चों की हर खुशी के लिए 

अपनी जिंदगी तक दांव पर लगा देती है 

दुनिया की सुध बुध नही उसे 

पर उसके लिए दुनिया से लड़ लेती है 

पता नहीं मां ऐसी...................... 



2. Maa par kavita : माँ की कद्र 


उसको कभी समझा ही नहीं। 

कद्र उसकी कभी की ही नहीं। 

वह मुझे रोज़ लोरी सुनाती थी। 

परियों के दूर देश ले जाती थी।

परियों के देश में मुझे 

वो राजकुमारी बनाती थी। 

मैं भी उन सपनों में खोकर 

खुद को सयानी समझती थी 

वह मां ही तो थी 

जो मुझे खुदा से ज्यादा समझती थी। 



3. माँ पर सुन्दर कविता : माँ की ममता 


माँ सिर्फ जो मां होती है 

सिर्फ ममता की मूरत होती है। 

फिर आज क्यों वो खुद को बदलती है 

वो सास क्यों बनती है। 

बेटी कुछ भी करे कोई बात नही 

बहू करे तो संस्कार नही। 

न जाने बेटी ही बेटी में ऐसा भेद क्यों?

बहू की गलती पर उसे सजा क्यों? 

जहाँ आज हम साक्षर समाज में हैं। 

वहां इतने संकीर्ण विचार क्यों? 

इन विचारों को समाज से दूर कीजिये। 

माँ जो है उसे सिर्फ़ मां ही रहने दीजिए। 



4. माँ पर प्यारी कविता : मेरी हिम्मत मेरी माँ 


अक्सर सपने देखा करती हूँ 

डरकर सहम सी जाती हूँ 

माँ को अपने पास न देखकर 

मैं घबरा सी जाती हूँ 

उसके आंचल की छांव में 

खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं 

न दिखे एक पल भी मां 

खुद को निर्बल समझती है 

माँ ही तो ताकत है मेरी 

माँ ही तो हिम्मत है मेरी 

माँ से ही होती हूं पूरी 

माँ ही तो जिन्दगी है मेरी। 


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